मुंबई वार्ता संवाददाता

भारतीय जनता पार्टी उपाध्यक्ष ने कल्याण में हुए तथाकथित मराठी गैर मराठी भाषी विवाद को लेकर संयम बरतने की अपील की है। आज एक बयान में अखिलेश सिंह ने कहा कि, ” कल्याण की घटना को राजनीतिक लाभ के लिए कुछ दल तूल देने की कोशिश कर रहे हैं। दो पड़ोसियों के मामूली विवाद को भाषाई झगड़े का रूप देना उचित नहीं है। “
अखिलेश सिंह ने कहा, ” हिंदी भाषी समुदाय और मराठी भाषी समाज के बीच न तो कोई प्रतिद्वंदिता है और न ही कोई शत्रुता। दोनों ही समाज के लोग आपसी भाई चारे के साथ रह रहे हैं। लेकिन हाल के विधान सभा चुनाव में जनता द्वारा दर किनार कर दिए गए कुछ दल अपने अस्तित्व को बचाने के लिए इस तरह के विवादों को तूल देने का काम कर रहे हैं। महाराष्ट्र के लोग प्रगतिशील विचार धारा के लोग हैं और वे सभी के साथ मिलजुलकर रहने के आदी हैं।”


अखिलेश सिंह ने यह भी कहा कि ऐसी घटनाओं को तूल देकर राजनीतिक रोटी सेंकने वाले कुछ दल इस मामले एक दूसरे से आगे निकलने और चैंपियन बनने के चक्कर में शांति का माहौल बिगाड़ने का प्रयास कर रहे हैं।”
अखिलेश सिंह ने बताया कि वे जल्द ही इस घटना को लेकर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री, पोलिस महासंचालक, ठाणे पोलिस कमिश्नर को मिलकर लिखित पत्र देकर निवेदन करेंगे कि दो पड़ोसियों के आपसी विवाद को भाषाई विवाद का रूप देकर समाज में द्वेष फैलाने के पीछे किन लोगों का हाथ हैं।
अखिलेश सिंह ने हिंदी भाषी समुदाय के लोगों से संयम बरतने और मराठी भाषी समाज के लोगों के साथ पहले की भांति प्रेम और भाईचारा बनाए रखने की अपील की है। उन्होंने कहा कि,” शांति प्रेमी नागरिकों को इस मामले पर कोई प्रतिक्रिया न देते हुए सभी घटनाक्रमों पर बारीक नजर रखनी चाहिए और जो दल मामले को तूल देकर उसका राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश कर रहे हैं उनका आने वाले चुनावों में बहिष्कार करना चाहिए। यह समय असली और नकली लोगों को पहचानने का है।”
अखिलेश सिंह ने मराठी समाज के लोगों से भी अपील की है कि वे राजनीतिक लाभ उठाने की कोशिश में राज्य का माहौल खराब करने वाले लोगों से सावधान रहें।” उन्होंने सरकार और प्रशासन से इस मामले की निष्पक्ष जांच कराकर उचित कार्यवाही करने की मांग की है।
बता दें कि गत दिनों महाराष्ट्र के ठाणे जिले के कल्याण में स्थित अजमेरा हाइट्स सोसायटी में दो पड़ोसियों में अगरबत्ती जलाने के विवाद ने हिंसक रूप ले लिया. अब इस मामले को मराठी – परप्रांतीय विवाद का रूप दिया जा रहा है। इस मामले की चर्चा विधानसभा में भी हो चुकी है।


