सवालों के घेरे में विरार का अमेय क्लासिक क्लब स्वीमिंगपूल।

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रवीन्द्र मिश्रा। मुंबई वार्ता

जब से विरार पश्चिम के यशवंत नगर स्थित अमेय क्लासिक क्लब के स्वीमिंगपूल में एक 4 वर्षीय बच्चे ध्रुव सिंह विष्ट की मंगलवार को नहाते समय डूबने से मौत हो गई ।तभी से यह क्लब सवालों के घेरे में घिरता जा रहा है ।

मृतक की मां रेनू सिंह विष्ट का कहना है कि स्वीमिंगपूल के कर्मचारी अगर समय पर अपनी भूमिका निभाते तो मेरा बेटा बच जाता । मिडिया को दिए एक साक्षात्कार में श्रीमती विष्ट ने कहा कि जब मेरा बेटा स्वीमिंगपूल में कुछ देर नहीं दिखा तो मैं वहां ड्यूटी पर तैनात स्वीमिंगपूल कर्मचारी से अपने बेटे के विषय में पूछा ।कहा कि मेरा बेटा अभी तैर रहा था पर वह अब दिखाई नहीं देता।इस पर उसने कहा कि आप का बेटा डूबने वालों में नहीं बल्कि दूसरों को डुबाने वालों में से है । आप बाहर बाथरुम में जाकर देखिए । मैंने दोनों बाथरुम लेडीज और जेंट्स दोनों में जा कर देखा। लेकिन मेरा बेटा जब कहीं दिखाई नहीं दिया तो मैं जोर जोर से रोने लगी और स्वीमिंगपूल में खड़े ट्रेनर से कहा कि देखो कहीं मेरा बेटा डूब तो नहीं गया । मेरे कहने के बाद उसने स्वीमिंगपूल में डुबकी मारी और पानी में डूबे मेरे बेटे को बाहर निकाला तथा उसे अस्पताल ले गया । जहां डाक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया ।

श्रीमती रेनू सिंह विष्ट का कहना है कि अगर समय चलते स्वीमिंगपूल के कर्मचारी पानी में गोता लगाते तो मेरा बेटा अवश्य बच जाता। अब यहां सवाल उठता है कि स्वीमिंगपूल पर तैनात दोनों कर्मचारियों की सतर्कता में चूक कहां और कैसे हुई ?इस घटना के बाद अमेय क्लब के बारे में जितने लोग मुंह उतनी बातें बनाने लगे है । कोई सवाल उठा रहा है कि क्या वहां पर तैनात कर्मचारी पूरी तरह प्रशिक्षित है? भी या नहीं ।तो कोई स्वीमिंगपूल बनने की डिजाइन पर ही सवाल खड़ा कर रहा है । क्या इस स्वीमिंगपूल का निर्माण सरकारी नियमों के अनुसार बनाया गया है?कोई कहता है कि क्या वहां तैराकी करने वालों के लिए इंश्योरेंस की व्यवस्था की गई है । कोई इस स्वीमिंगपूल के मालिक का नाम पूछ रहा है तो ठेकेदार का ।

कोई कह रहा है कि लाईफ जैकेट के बिना बच्चों को स्वीमिंगपूल में क्यों उतारा जाता है । जबकि कुछ कहते हैं कि यह स्वीमिंगपूल तो बड़ो के लिए बनाया गया है ।तो एक फुट के बच्चे को किस नियम के तहत तैरने की अनुमति दी गई ? अब तो लोग स्वीमिंगपूल के मैनेजमेंट पर ही सवाल उठा रहे है । लोगों का कहना है कि क्या इस मामले में मैनेजमेंट की कोई जिम्मेदारी है भी या नहीं? कुछ लोग तो यह भी कहने लगे हैं कि मैनेजमेंट अपने कर्मचारियों पर ठीकरा फोड़ कर अपना पल्ला झाड़ने की फिराक में तो नहीं है? खैर जितने मुंह उतनी बातें ।यह तो आने वाला समय ही बताएगा । लेकिन यह सच है कि अब यह मामला लीपापोती की लीक से हट कर जांच के दायरे में आ गया है ।

रेनू सिंह विष्ट ने सरकार से गुहार लगाते हुए कहा है कि इस मामले की इमानदारी से जांच हो ।जो मेरे बेटे के साथ हुआ अब वह अन्य किसी परिवार के साथ न हो । अब किसी मां की गोद न सूनी हो।

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