मुंबई वार्ता संवाददाता

हमें यह देखकर बहुत आश्चर्य हुआ कि पूर्व सांसद किरीट सोमैया को घाटकोपर और पवई के बीच खंडोबा पहाड़ी पर हज़ारों चोचपापड़ के पेड़ों और प्राकृतिक जैव विविधता के क्रूर वध पर आखिरकार ‘होश आ गया’। इस प्रकार का कटाक्ष एडवोकेट अमोल मतेले, (मुंबई अध्यक्ष, राष्ट्रवादी युवा कांग्रेस(शरद चंद्र पवार ) पार्टी) ने किया है।
उन्होंने कहा कि सच है कि पेड़ों को जेसीबी से काटा गया । लेकिन उससे भी बड़ा दुख यह है कि सत्ताधारी भाजपा के नेता और उनका प्रशासन ‘पेड़ों की तरह खामोश’ रहा।अब जब जनता उठ खड़ी हुई है, पर्यावरणविद सड़कों पर उतर आए हैं, तो पूर्व सांसद ग्रीन ट्रिब्यूनल में शिकायत दर्ज कराने निकले हैं। हालांकि तब तक जंगल खत्म हो चुके होंगे।
उन्होंने कहा कि एल वार्ड में नगर निगम अधिकारियों, बिल्डरों और ठेकेदारों की मिलीभगत आपके राज में शुरू हो गई है। अवैध उत्खनन की अनुमति किसके आशीर्वाद से दी गई? जेसीबी कहाँ से आई, किसकी मौन सहमति से पेड़ काटे गए?आज पाखंडी पर्यावरणवाद दिखाने के बजाय, आपने कल पेड़ों को बचाने के लिए आवाज़ क्यों नहीं उठाई थी ? हमारी पार्टी ‘तस्वीरों के लिए पेड़ बचाने’ की भूमिका नहीं निभाना चाहती, हम सीधे तौर पर लड़ रहे हैं और प्रशासन को ज़िम्मेदार ठहरा रहे हैं।
● राष्ट्रवादी युवा कांग्रेस (शरद चंद्र पवार) पार्टी का रुख़ कड़ा है:
एडवोकेट अमोल मतेले ने कहा कि खंडोबा पहाड़ी में जंगल का कत्ले आम प्रशासन की उदासीनता का जीता-जागता प्रमाण है। हम जल्द ही दोषी अधिकारियों, बिल्डर लॉबी और इस मामले का समर्थन करने वाले नेताओं के ख़िलाफ़ कार्रवाई की मांग को लेकर सड़कों पर उतरेंगे। सिर्फ़ ‘ट्वीट’ और ‘शिकायत’ करने से जंगल नहीं बचता। पर्यावरण तो सिर्फ़ लड़ाई से ही बचता है।


