● दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र से सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करने को कहा।
● देशभर में “भारत” नाम प्रेमी लोगों में खुशी की लहर
मुंबई वार्ता संवाददाता
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अखिल भारतीय खाद्य तेल व्यापारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं कॉन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय मंत्री शंकर ठक्कर ने बताया कि इंडिया का नाम बदलकर भारत करने की मुहिम विभिन्न संगठनो द्वारा पिछले कई वर्षों से चलाई जा रही है। इसमें अब सफलता मिलती दिख रही है। दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र से सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करने को कहा।
आदेश में कहा गया है कि अंग्रेजी नाम “इंडिया” देश की संस्कृति और परंपरा का प्रतिनिधित्व नहीं करता है और इसका नाम बदलकर “भारत” करने से नागरिकों को “औपनिवेशिक बोझ” से छुटकारा पाने में मदद मिलेगी।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने केंद्र से कहा है कि वह संविधान में संशोधन करने और इंडिया शब्द के स्थान पर “भारत” या “हिंदुस्तान” शब्द करने के लिए प्रस्तुत अभ्यावेदन पर विचार करने के लिए सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का शीघ्रता से पालन करे।
न्यायमूर्ति सचिन दत्ता ने याचिकाकर्ता को इस संबंध में अपनी याचिका वापस लेने की भी अनुमति दे दी।12 मार्च को पारित आदेश में कहा गया, “कुछ सुनवाई के बाद, याचिकाकर्ता के वरिष्ठ वकील सुप्रीम कोर्ट द्वारा 3 जून, 2020 को पारित आदेश के अनुसार याचिकाकर्ता के अभ्यावेदन के निपटारे के लिए संबंधित मंत्रालयों के साथ मामले को आगे बढ़ाने की अनुमति के साथ वर्तमान याचिका वापस लेना चाहते हैं। वर्तमान याचिका वापस लिए जाने के रूप में खारिज की जाती है।”
इसमें कहा गया है कि केंद्र के वकील को सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित आदेश के शीघ्र अनुपालन के लिए संबंधित मंत्रालयों को उचित रूप से सूचित करना चाहिए।याचिकाकर्ता ने शुरू में सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था, जिसने 2020 में निर्देश दिया था कि याचिका को एक प्रतिनिधित्व के रूप में माना जाए जिस पर उपयुक्त मंत्रालयों द्वारा विचार किया जा सकता है।
वरिष्ठ अधिवक्ता संजीव सागर द्वारा प्रतिनिधित्व किए गए याचिकाकर्ता नमहा ने फिर अपने प्रतिनिधित्व पर फैसला करने के लिए अधिकारियों को निर्देश देने के लिए उच्च न्यायालय का रुख किया। याचिका में कहा गया है, “याचिकाकर्ता के पास मौजूदा याचिका के जरिए इस अदालत का दरवाजा खटखटाने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है क्योंकि याचिकाकर्ता के प्रतिनिधित्व पर लिए गए किसी भी फैसले के बारे में प्रतिवादियों की ओर से कोई अपडेट नहीं है।” अंग्रेजी नाम “इंडिया” देश की संस्कृति और परंपरा का प्रतिनिधित्व नहीं करता है तत्कालीन संविधान के मसौदे के अनुच्छेद 1 पर 1948 की संविधान सभा की बहस का हवाला देते हुए, याचिका में कहा गया है कि उस समय भी देश का नाम “भारत” या “हिंदुस्तान” रखने की लहर देश में उठी थी।
इसमें कहा गया है, “हालांकि, अब समय आ गया है कि देश को उसके मूल और प्रामाणिक नाम, यानी भारत से पहचाना जाए, खासकर तब जब हमारे शहरों का नाम भारतीय लोकाचार के साथ पहचानने के लिए रखा गया है।”*शंकर ठक्कर ने आगे कहा माननीय उच्च न्यायालय द्वारा दिए गए इस फैसले का हम स्वागत करते है और उच्च न्यायालय का आभार व्यक्त करते हैं। भारत को अपना पुराना नाम वापस दिलाने के लिए देश भर में विभिन्न संगठनों द्वारा किए गए विशेष प्रयत्नों के लिए उनका भी आभार व्यक्त करते हैं।
भारत को सदियों से इसी नाम से बोला जा रहा था तो फिर अंग्रेज आने के बाद नाम बदली करने की कोई आवश्यकता ही नहीं थी इसके लिए भारत को अपना पुराना वैभव वापस दिलाने के लिए अपने पुराने नाम से ही संबोधित किया जाना चाहिए इसके लिए केंद्र सरकार को तुरंत आवश्यक कार्यवाही करनी चाहिए।