डोंबिवली/ मुंबई वार्ता संवाददाता

मुंबई वार्ता कल्याण-डोंबिवली महानगर पालिका (KDMC) क्षेत्र में अवैध निर्माण के मामलों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। इसका मुख्य कारण राजनैतिक दबाव के चलते मनपा प्रभाग क्षेत्र अधिकारियों का गिरता मनोबल है। मनपा के हर प्रभाग क्षेत्र में अवैध निर्माण पर कार्रवाई के दौरान अधिकारियों को तबादले की धमकी, गाली-गलौज और दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ रहा है। इन घटनाओं से अधिकारी कार्रवाई करने से घबराते हैं। इस बात की जानकारी एक मनपा अधिकारी नाम गुप्त रखने की शर्त पर दी है ।
मनपा अधिकारी ने यह भी बताया कि महिला IAS आयुक्त इंदुरानी जाखड़ के पदभार संभालने के बाद से क्षेत्र में विकास कार्यों में तेजी आई है। हालांकि, उनकी व्यस्तता का फायदा उठाते हुए अवैध निर्माणकर्ता अपने राजनीतिक संपर्कों का उपयोग कर अधिकारियों पर दबाव बना रहे हैं कि वे अवैध निर्माण पर कार्रवाई न करें।


मनपा अधिकारी ने अनुसार पुलिस सुरक्षा के बावजूद, कई मामलों में मनपा अधिकारियों को अवैध निर्माण तोड़ते समय गुंडागर्दी और मानसिक उत्पीड़न का सामना करना पड़ा है।पिछले वर्षों में अवैध निर्माण के कारण, नागरिक सुविधाओं और मनपा को हुए आर्थिक नुकसान को देखते हुए, उच्च न्यायालय ने अवैध निर्माण हटाने और संबंधित अधिकारियों पर कार्रवाई करने के कई आदेश दिए हैं। इसके बावजूद, छुटपुट कार्रवाई के अलावा नए अवैध निर्माण में कोई कमी नहीं आई है।
मनपा अधिकारी ने यह भी बताया कि पहले KDMC आयुक्त, ग्राउंड जीरो अधिकारियों के साथ खड़े रहते थे और राजनैतिक दबाव से उन्हें बचाते हुए अपने आदेशों का हवाला देते थे। इससे अधिकारियों को कार्रवाई के दौरान किसी प्रकार का भय नहीं होता था। वर्तमान स्थिति में, बढ़ती राजनैतिक दखलंदाजी और दबाव के चलते अधिकारियों का मनोबल गिरा हुआ है।KDMC क्षेत्रों में बढ़ते अवैध निर्माण को रोकने के लिए आयुक्त को स्वयं इन मामलों में संज्ञान लेना होगा। ग्राउंड जीरो पर काम करने वाले अधिकारियों के साथ खड़े रहकर उन्हें प्रोत्साहित करना आवश्यक है। इससे अधिकारी पूरे आत्मविश्वास के साथ अवैध निर्माण के खिलाफ कार्रवाई कर सकेंगे।
ज्ञात हो कि राजनैतिक दबाव और तबादले के भय के कारण अवैध बांधकाम नियंत्रक विभाग में शासन द्वारा जारी SOP (स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग सिस्टम) का पालन नहीं हो रहा है। आयुक्त के सक्रिय दखल के अभाव में अवैध निर्माणकर्ताओं का हौसला बढ़ा हुआ है। ग्राउंड जीरो पर काम करने वाले अधिकारियों में उत्साह की कमी स्पष्ट दिखाई दे रही है।अवैध निर्माण नामक इस समस्या को जड़ से उखाड़ फेंकने के लिए आयुक्त को खुद कार्रवाई की जिम्मेदारी लेनी होगी। उन्हें राजनैतिक दबाव डालने वाले नेताओं से सीधे संवाद करना होगा और अधिकारियों को यह विश्वास दिलाना होगा कि वे उनके साथ मजबूती से खड़ी हैं। ऐसा करने से न केवल अवैध निर्माण पर अंकुश लगेगा, बल्कि अधिकारियों में भी नई ऊर्जा का संचार होगा।


