मुंबई वार्ता/ हरीशचंद्र पाठक

एक ओर जहां मराठी को अभिजात भाषा का दर्जा दिया गया है, वहीं दूसरी ओर वर्ष 2025 की शुरुआत में मालवणी मिट्टी, मालवणी बोली और मराठी संस्कृति के लिए काम करने का बीड़ा उठाने वाली संस्था सिंधुदुर्ग प्रतिष्ठान (पंजीकृत) मुंबई को भी इसमें शामिल किया गया है। मालवणी लोगों ने मालवणी बोली को संरक्षित और बढ़ावा देने की अपनी पहल के तहत मालवणी लेखकों की दो नई पुस्तकें प्रकाशित की हैं।
आज कांदिवली के ठाकुर विलेज स्थित वैली ऑफ फ्लॉवर्स क्लब में एक भव्य समारोह में इसका विमोचन किया गया। प्रकाश सरवणकर की ‘पीपल इन ग़ज़ल’ और पूर्णिमा गावड़े मोराजकर की ‘गज़ल गाथन’ नामक दो पुस्तकें प्रकाशित हुईं, जिन्हें उत्साही पाठकों से भारी प्रतिक्रिया मिली।
विमोचन समारोह में प्रसिद्ध लेखक प्रभाकर भोगले और मुंबई के इतिहास के विद्वान नितिन सालुंके, जो बहुचर्चित पुस्तक ‘अग्नत मुंबई’ के लेखक हैं, मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे। समारोह में विभिन्न क्षेत्रों के गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। सम्पूर्ण समारोह का सफल संचालन डॉ. मेघा परब द्वारा किया गया।