मुंबई वार्ता/ हरीशचंद्र पाठक

मनपा की ओर से पूरे साल भर सड़कों, स्कूलों पुलों, मनपा की इमारतों का निर्माण कार्य कराया जाता किंतु मनपा के निर्माण कार्यों पर सदैव ही प्रश्न चिन्ह लग जाता है। ठीक इसी तरह का मामला चेंबूर एम पश्चिम विभाग में देखने को मिल रहा।
बता दें कि चेंबूर एम पश्चिम विभाग कार्यालय को एक स्ट्रक्चरल ऑडिट में खतरनाक दिखाया गया है। जिसके चलते पूरी इमारत को लोहे के खंभों का सहारा दिया गया है।
बताया जाता है कि पांच वर्ष पूर्व पूर्वी उपनगर के उप मुख्य अभियंता कार्यालय के माध्यम से करोड़ों रुपये की लागत से इस भवन की मरम्मत व रंग-रोगन कराया गया था। मात्र पांच साल में ही उक्त इमारत खतरनाक दशा में कैसे पहुंच गई ? इस पर सवालिया निशान खड़ा हो गया है और इसके मरम्मत में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार होने का आरोप भी लग रहा है।
सूत्रों के अनुसार घन कचरा विभाग की ओर से एम वेस्ट कार्यालय की छत पर सोलर पैनल लगाया जाना था। उसके लिए बिल्डिंग का स्ट्रक्चरल ऑडिट कराया गया था। लेकिन इस ऑडिट में एक चौंकाने वाली बात सामने आई । मात्र पांच साल पहले ही पुनर्निर्मित की गई इमारत को सी2ए श्रेणी में खतरनाक घोषित किया गया था। ऐसे में यह बात सामने आई है कि जिस ठेकेदार ने पांच साल पहले मरम्मत का काम किया था, उसने घटिया दर्जे का काम किया है।
इस इमारत के कार्य को टेंडर देने वाले पूर्व उपनगर उप प्रमुख अभियंता की कार्य शैली पर शंका निर्माण होने का आरोप सूचना अधिकार कार्यकर्ता मनोहर जरियाल ने लगाया है। एम पश्चिम विभाग कार्यालय की इमारत का मरम्मत और सौंदर्यीकरण अनेक बार कराया गया । लेकिन मरम्मत के बाद कुछ ही दिनों में जमीन और दीवारें उखड़ जाती हैं। सूचना अधिकार कार्यकर्ता मनोहर जरियाल ने यह भी आरोप लगाया है कि संबंधित ठेकेदार, जिसने घटिया काम किया था, को पूर्व उपनगर इमारत परिरक्षण विभाग के अधिकारियों द्वारा विशेष मेहरबानी दी गई। सोलर पैनल लगाने के स्ट्रक्चरल ऑडिट में यह साफ हो गया कि इमारत सी 2A कैटेगरी में है। इसलिए सुरक्षा उपाय किये गये। सूचना अधिकार कार्यकर्ता मनोहर जरियाल ने यह भी मांग की है कि इमारत में लगाए गए लोहे के खंभे की पूरी कीमत उस ठेकेदार से वसूली जाए जिसने पहले इसकी मरम्मत की थी।


