मुंबई वार्ता संवाददाता

मुंबई नगर निगम ने पानी के शुल्क में 8% की बढ़ोतरी करने का फैसला किया है, जिससे आम मुंबईकरों पर भारी वित्तीय दबाव पड़ेगा। जल शुद्धिकरण के नाम पर नागरिकों को आर्थिक संकट में धकेलना अन्यायपूर्ण निर्णय है। नगर निगम की अपारदर्शी एवं अनियमित शासन व्यवस्था के कारण नागरिकों पर यह बोझ डाला जा रहा है, जो किसी भी सूरत में स्वीकार्य नहीं होगा.एनसीपी-(शरद चंद्र पवार ) के प्रवक्ता और युवा मुंबई अध्यक्ष एडवोकेट अमोल मटेले ने मुख्य अभियंता, जल अभियंता विभाग को ई-मेल के माध्यम से एक पत्र भेजकर मांग की है कि जल शुल्क में 8% की दर वृद्धि को तुरंत वापस लिया जाना चाहिए।
अमोल मटेले की मांग:
जल शुल्क वृद्धि तत्काल रद्द की जाए।
नगर निगम के भ्रष्टाचार और अनावश्यक खर्चों पर नियंत्रण लगाया जाए।
जल शुद्धिकरण प्रक्रिया की पारदर्शी जानकारी नागरिकों के समक्ष प्रस्तुत की जाए।
अगर ये मांगें नहीं मानी गईं तो राकांपा युवा कांग्रेस शरद चंद्र पवार पार्टी की ओर से तीव्र आंदोलन किया जाएगा. अधिवक्ता अमोल मटेले ने सख्त शब्दों में चेतावनी दी है कि ”यदि दर वृद्धि वापस नहीं ली गई तो जल यांत्रिकी विभाग के संबंधित अधिकारियों पर कालिख पोतने की कड़ी कार्रवाई की जाएगी.”
पहले से ही महंगाई के बोझ तले दबे मुंबईकरों पर इतना आर्थिक बोझ डालना बर्दाश्त के बाहर है। एनसीपी युवा कांग्रेस मुंबईकरों के अधिकारों और उनकी उचित मांगों के लिए लड़ाई जारी रखेगी।