मुंबई वार्ता/सौरभ शांडिल्य।

एनएल कॉलेज के 1974 सत्र के बच्चे बूढ़े होकर मिले मालाड के नरसिंह लेन में,
विद्यार्थी जीवन की मस्ती, बेफिक्र जिंदगी और दोस्तों संग बिताए गए पल हर किसी को आजीवन याद रहते हैं। भविष्य के सपने बुनते हुए जब सत्रावसान के बाद सहपाठी एक दूसरे से जुदा होते हैं तो अक्सर मिलते रहने के वादे के साथ जाते हैं लेकिन किसकी ,किससे ,कब, कहां मुलाकात होगी ? कोई नहीं जानता। इसी तरह से मालाड पश्चिम के एसवी रोड स्थित एन. एल. कॉलेज में पढ़ने वाले विद्यार्थी 1974 में जब 11वीं का इम्तिहान देने के बाद घर गए तो अपनी दुनिया में इस कदर खो गए . किसी को समय का पता ही नहीं चला। पता चला तो 51 साल बाद जब सभी विद्यार्थी दादा-दादी या नाना-नानी बन चुके थे।


इसी ग्रुप में पढ़ने वाले नरेंद्र खेतान ने बताया कि इस ग्रुप में से कई दुबई तो कुछ महाराष्ट्र और राजस्थान में सेट हो गए थे। एक दिन संयोग से एक पुराना सहपाठी मिला तो स्कूली दिनों की बातें छिड़ी। इसके बाद सबकी तलाश कर उनके कुशलक्षेम पता करने का प्रयास किया गया। आखिर कड़ी मशक्कत के बाद दो दर्जन से अधिक पूर्व विद्यार्थियों को हमने ढूंढ निकाला, जिनके सम्मान में मालाड पश्चिम के नरसिंह लेन स्थित राधा विश्वेश्वर परिसर में एलुमनी समारोह आयोजित किया गया।
पहला मिलन दो साल पहले हुआ था, इस वर्ष तीसरे साल भी उस परंपरा को निभाया गया। कार्यक्रम में अजय अग्रवाल, नरेंद्र खेतान, महेश चौधरी, महेश चावला, अरविंद जीवराजका, प्रवीण अग्रवाल-सिंगापुर, आशा बंसल, कमला गांधी-दुबई, डॉक्टर कांता जैन, बसंत रूंगटा आदि उपस्थित थे।