‘भारतीय पारंपरिक कला एवं संस्कृति में रोजगार की संभावनाएं’ पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन।

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सतीश सोनी/मुंबई वार्ता

साठये महाविद्यालय (स्वायत्त) के भूतल सभागार में सुबह ९:०० बजे से “भारतीय पारंपरिक कला एवं संस्कृति में रोजगार की संभावनाएं” विषय पर आयोजित द्वि दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का प्रथम दिवस संपन्नतापूर्वक सफल हुआ।

इस कार्यक्रम का आयोजन महाविद्यालय के हिंदी विभाग, दक्षिण-मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, नागपुर (संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार) एवं साहित्यिक-सांस्कृतिक शोध संस्था, मुंबई के संयुक्त तत्त्वावधान में किया गया था।

इस संगोष्ठी की अध्यक्षता महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. माधव राजवाडे जी ने की।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि लखनऊ से पधारे सेवानिवृत्त आई. ए. एस. अधिकारी डॉ. सुरेश चंद्र तिवारी एवं साहित्यकार प्रो. डॉ. अर्जुन चव्हाण थे। विशेष अतिथि के रूप में श्री. गणेश थोरात (प्रशासनिक एवं लेखा अधिकारी, दक्षिण-मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, नागपुर – संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार) स्थान मंगलमय किया। कार्यक्रम के समन्वयक हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. प्रदीप कुमार सिंह जी एवं सह समन्वयक लेखाशास्त्र विभागाध्यक्ष डॉ. संजय सोनवणे ने संगोष्ठी का कार्यभार प्रांजल रूप से संभाला।

इस संगोष्ठी के प्रथम दिवस में उद्घाटन सत्र, प्रथम सत्र एवं द्वितीय सत्र में संगठित किया गया था। दीप प्रज्वलन एवं मां सरस्वती की वंदना के साथ कार्यक्रम का श्रीगणेश हुआ। डॉ. प्रदीप सिंह जी ने सभागार को सुशोभित करनेवाले अतिथियों का परिचय दिया। संगोष्ठी का उद्घाटन जानेमाने लेखक और वरिष्ठ पत्रकार श्री. प्रफुल शाह के वक्तव्य के साथ अग्रसरित हुआ। श्रीफल, शाल, भेंट, पुष्पगुच्छ एवं रामायण की एक प्रति देकर अतिथियों का तहेदिल से सम्मान किया। तत्पश्चात उपस्थित अतिथियों ने अपने अपने विचार बड़ी ही सुंदरता के साथ श्रोतागण के समक्ष प्रस्तुत किए तथा प्रथम दिवस का उद्घाटन सत्र सुबह ११ बजे समाप्त हुआ। कार्यक्रम की अगली कड़ी में प्रथम सत्र के विषय विशेषज्ञ साठये महाविद्यालय के राजनीतिशास्त्र के प्रवक्ताडॉ. केतन भोसले जी ने बड़ी ही सरल सहज भाषा में “पारंपरिक कलाओं में रोजगार की संभावना” विषय पर अपना व्याख्यान प्रस्तुत किया। प्रथम सत्र का समापन ठीक १ बजे हुआ एवं भोजनावकाश के बाद द्वितीय सत्र ठीक २ बजे प्रारंभ हुआ।

संगोष्ठी के द्वितीय सत्र में एड. श्री रमाशंकर शुक्ल तथा डॉ. अर्जुन चव्हाण जी ने अपनी ओजपूर्ण वाणी में अपने वक्तव्य प्रस्तुत किए। दोनों सत्रों के संचालन का कार्यभार समाजशास्त्र विभाग की शिक्षिका डॉ. अंजलि यादव जी ने संभाला। कार्यक्रम के अंत में गुजरात से पधारे तीन महानुभावों ने अपनी धार्मिक डिजिटल ग्रंथों का अनावरण किया जिसने हिंदी विभाग एवं महाविद्यालय को नई अनुपम उपलब्धि प्रदान की। उन्होंने इस डिजिटल पुस्तक की बखूबी प्रस्तुति की। लेखाशास्त्र विभाग की शिक्षिका डॉ. मोनिका भोसले जी ने सभी के प्रति आभार व्यक्त किया। इसी के साथ इस संगोष्ठी का प्रथम दिवस अत्यंत वैभवता के साथ संपन्न हुआ।

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