भारत 15 से 25 फरवरी 2026 तक विशाखापत्तनम में अंतर्राष्ट्रीय बेड़ा समीक्षा और अभ्यास मिलन के साथ ऐतिहासिक समुद्री अभिसरण की मेजबानी करेगा।

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मुंबई वार्ता/सतीश सोनी

भारत फरवरी 2026 में विशाखापत्तनम में तीन प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय समुद्री कार्यक्रमों की मेजबानी करेगा, अर्थात् अंतर्राष्ट्रीय बेड़ा समीक्षा (IFR) 2026, अभ्यास मिलन 2026 और हिंद महासागर नौसेना संगोष्ठी (IONS) प्रमुखों का सम्मेलन, जो 15 से 25 फरवरी 2026 तक आयोजित किया जाएगा। यह भारत द्वारा इन प्रमुख समुद्री कार्यक्रमों का एक साथ पहला आयोजन है।

यह विशाल आयोजन माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के 2025 में घोषित महासागर (क्षेत्रों में सुरक्षा और विकास के लिए पारस्परिक और समग्र उन्नति) विजन को साकार करता है। महासागर, भारत के सागर (क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास) दर्शन को हिंद महासागर से लेकर सभी क्षेत्रों तक विस्तारित करता है, और समुद्री साझा संसाधनों की स्थिरता, लचीलेपन और सामूहिक जिम्मेदारी पर जोर देता है। फरवरी 2026 का अभिसरण इस विजन की एक प्रमुख परिचालन अभिव्यक्ति है, जो सभी मित्रों और साझेदारों के लिए “पसंदीदा सुरक्षा साझेदार” बनने की भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

भारत के पूर्वी समुद्री प्रवेशद्वार और पूर्वी नौसेना कमान के मुख्यालय, विशाखापत्तनम में आयोजित इस ऐतिहासिक सम्मेलन में भाग लेने के लिए दुनिया भर की नौसेनाओं को निमंत्रण भेजा गया है। यह आयोजन महासागर, एक्ट ईस्ट पॉलिसी, आईओएनएस और इंडो-पैसिफिक ओशन्स इनिशिएटिव (आईपीओआई) सहित रणनीतिक ढाँचों पर आधारित एक मुक्त, खुले और समावेशी समुद्र के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाएगा।इस विशाल आयोजन में भारत के माननीय राष्ट्रपति द्वारा समुद्र में राष्ट्रपति बेड़े की समीक्षा शामिल होगी, जिसमें आईएनएस विक्रांत (भारत का पहला स्वदेश निर्मित विमानवाहक पोत), विशाखापत्तनम श्रेणी के विध्वंसक, नीलगिरि श्रेणी के स्टील्थ फ्रिगेट और अर्नाला श्रेणी के पनडुब्बी रोधी युद्धपोतों सहित स्वदेशी उपकरणों का प्रदर्शन किया जाएगा – जो भारत के ‘निर्माताओं की नौसेना’ में परिवर्तन को दर्शाता है।

भारतीय नौसेना के जहाजों के साथ मित्र देशों, भारतीय तटरक्षक बल और मर्चेंट मरीन के विविध जहाज शामिल होंगे।मिलन अभ्यास के समुद्री और बंदरगाह चरण अंतर-संचालनीयता, समुद्री क्षेत्र जागरूकता, पनडुब्बी रोधी युद्ध, वायु रक्षा और खोज एवं बचाव अभियानों पर केंद्रित होंगे। अंतर्राष्ट्रीय सिटी परेड में भाग लेने वाली नौसेनाओं, भारतीय सेना और भारतीय वायु सेना की टुकड़ियाँ विशाखापत्तनम के प्रतिष्ठित समुद्र तट, आरके बीच से मार्च करते हुए नागरिकों को सीधे समुद्री कूटनीति का प्रदर्शन करेंगी।एक अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगोष्ठी में समुद्री रणनीतिकार, रक्षा अधिकारी, शिक्षाविद और उद्योग जगत के नेता समुद्री सहयोग, प्रौद्योगिकी और मानवीय सहायता सहित समकालीन मुद्दों पर चर्चा के लिए एकत्रित होंगे।

आईओएनएस प्रमुखों का सम्मेलन, जिसके दौरान भारतीय नौसेना दूसरी बार (2025-2027) अध्यक्षता ग्रहण करेगी, 25 सदस्यों, 9 पर्यवेक्षकों और विशेष रूप से आमंत्रित देशों के नौसेना प्रमुखों को समुद्री सुरक्षा, एचएडीआर और सूचना साझाकरण पर विचार-विमर्श करने के लिए एक साथ लाएगा।भारत की आईएफआर परंपरा 2001 के मुंबई संस्करण के साथ शुरू हुई, जिसमें 20 विदेशी नौसेनाओं ने भाग लिया और 2016 के विशाखापत्तनम आईएफआर के साथ और अधिक ऊंचाइयों पर पहुंच गई, जिसमें दुनिया भर की नौसेनाओं ने भाग लिया। 1995 में पोर्ट ब्लेयर में चार नौसेनाओं के साथ शुरू किया गया अभ्यास मिलन, 2024 में भाग लेने वाली दुनिया भर की साझेदार नौसेनाओं के साथ एक प्रमुख बहुपक्षीय अभ्यास के रूप में विकसित हुआ है। भारत की आगामी आईओएनएस अध्यक्षता और महासागर विजन क्षेत्रीय समुद्री सुरक्षा सहयोग के संयोजक के रूप में इसकी भूमिका को सुदृढ़ करता है।

विशाखापत्तनम का सिद्ध बुनियादी ढाँचा, रणनीतिक स्थान और समुद्री संग्रहालय इसे एक आदर्श मेज़बान बनाते हैं। राष्ट्रीय स्तर पर रक्षा मंत्रालय, गृह मंत्रालय, विदेश मंत्रालय, पर्यटन मंत्रालय, संस्कृति मंत्रालय और राज्य स्तर पर आंध्र प्रदेश सरकार तथा स्थानीय प्रशासन के साथ भारतीय नौसेना द्वारा समन्वित तैयारियाँ इस ऐतिहासिक संगम के निर्बाध क्रियान्वयन को सुनिश्चित करेंगी। इस आयोजन के दौरान आतिथ्य, पर्यटन और सेवा क्षेत्र की गतिविधियों से क्षेत्र को महत्वपूर्ण आर्थिक लाभ होने की उम्मीद है।यह संगम नौसेना की परंपरा को रणनीतिक सहयोग में परिवर्तित करता है और इस भव्य आयोजन को एक सार्थक कूटनीति और परिचालन तालमेल में बदल देता है। यह एक जिम्मेदार समुद्री शक्ति के रूप में भारत की स्थिति को मज़बूत करेगा जो पारस्परिक उन्नति, समग्र सुरक्षा और सभी क्षेत्रों में विकास के लिए प्रतिबद्ध है।

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