मुंबई वार्ता/शिव पूजन पांडेय

भाषा न केवल विचारों और भावनाओं को व्यक्त करने का एक साधन है, बल्कि यह संस्कृति, सामाजिक संबंध और ज्ञान के संरक्षण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। महाराष्ट्र के पूर्व गृह राज्यमंत्री तथा जौनपुर लोकसभा के पूर्व प्रत्याशी कृपाशंकर सिंह ने उपरोक्त बातें कही।


उन्होंने कहा कि हम जिस प्रदेश में रहते हैं उस प्रदेश की भाषा सीखना आवश्यक है क्योंकि इससे हमें वहां की संस्कृति और इतिहास को जानने में आसानी होती है। साथ ही सामाजिक संबंधों को मजबूत करने की दिशा में भी वहां की भाषा कारगर साबित होती है।
उन्होंने कहा कि प्रेम, सद्भावना और भाईचारे की भाषा सर्वोत्तम होती है। सभी भाषाओं में यही संदेश निहित रहता है। भाषा दिलों को जोड़ने का काम करती है, तोड़ने का नहीं। मुंबई में चल रहे भाषाई विवाद को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए उन्होंने कहा कि भाषा को हथियार के रूप में प्रयुक्त करना उपयुक्त नहीं है। मुंबई में रहने वाले अधिकांश लोग मराठी भाषा समझते और बोलते हैं।
कृपाशंकर ने कहा कि महाराष्ट्र वीरों और संतों की भूमि रही है, जहां से पूरे देश में राष्ट्रीय और अध्यात्मिक जागरण का संदेश गया । हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि स्वतंत्रता हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है का नारा देने वाले लोकमान्य तिलक और हिंदवी स्वराज की स्थापना करने वाले छत्रपति शिवाजी महाराज, महाराष्ट्र के ही थे, जिन्होंने पूरे देश को संगठित कर जगाने का काम किया।