महायुति में मंत्री पद नहीं मिलने पर अनिश्चितता। भुजबल, शिवतारे ,मुंगट्टीवार, तानाजी सावंत की नाराजगी के कारण विद्रोह की आशंका.

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सतीश सोनी/ मुंबई वार्ता

महाराष्ट्र विधानसभा का शीतकालीन सत्र शुरू हुआ, कैबिनेट का विस्तार हुआ . मंत्री पद को लेकर शिंदे और अजित पवार गुट में ढाई-ढाई साल का फॉर्मूला तय किए जाने की बात भी सामने आ रही है. हालाकि यह फ़ार्मूला असंतुष्ट विधायकों को स्वीकार्य नहीं है. इसलिए इसमें कोई संदेह नहीं है कि आने वाले दिनों में महाराष्ट्र की राजनीति में कुछ नया देखने मिला सकता है.

नाराज विधायक अब अपने उन नेताओं से मिल रहे हैं जिनसे वे अलग हो गए थे। बीजेपी में भी सब कुछ ठीक नहीं है, दबे सुर में विरोध प्रकट किया जा रहा हैं, इसीलिए मुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़णवीस को केंद्रीय नेतृत्व द्वारा सुधीर भाऊ को शीर्ष पद देने की घोषणा करनी पड़ी है.

सुधीर मूंगट्टीवार, दिलीप वलसे पाटिल की जगह महायुति में नए चेहरों को मौका देने की घोषणा की गई. वरिष्ठ नेताओं को बाहर कर दिया. अजित पवार के समूह में छगन भुजबल को बाहर कर दिया, जिन्होंने चुनाव में ओबीसी का नेतृत्व किया और जारांगे के खिलाफ लड़ाई लड़ी. उन्होंने न केवल स्पष्ट शब्दों में अपनी नाराजगी व्यक्त की बल्कि अजित पवार से मिलने से भी इनकार कर दिया है. शरद पवार से मुलाकात के बाद उन्होंने सत्र में शामिल होना बंद कर दिया और कार्यकर्ताओं से मिलने नासिक पहुंच गए.जहां आगे की नीति बनाई जाएगी। भुजबल ने सवाल खड़ा किया है कि अगर राज्यसभा भेजना ही था तो विधानसभा चुनाव क्यों लड़ाया ?

शिंदे गुट के उपनेता शिवतर ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है और निर्णय लिया है कि मंत्रालय उन्हें दिया जाए तो भी वह नहीं लेंगे और संकेत दिया कि वह केवल अपने क्षेत्र में ही काम करेंगे.

तानाजी सावंत ने अपने सोशल मीडिया और ऑफिस से एकनाथ शिंदे और धनुषबाण की फोटो हटाकर सिर्फ बाल साहेब की फोटो रखी है जो बहुत कुछ इशारा करती है. शिंदे के खास माने जाने वाले दीपक केसरकर फिलहाल खामोश हैं लेकिन उनकी खामोशी बहुत कुछ कहती है।

सुधीर भाऊ ने यह भी कहा कि उनका नाम शपथ ग्रहण समारोह से पहले सूची में था और उन्हें एक फोन भी आया था .उन्होंने फड़नवीस से पूछा था कि उनका नाम क्यों काटा गया? अगर चंद्रकांत हंडोले को मंत्रालय मिलता है तो संभावना है कि सुधीर भाऊ को प्रदेश का क्षेत्रीय अध्यक्ष बनाया जाएगा.

स्पीकर राहुल नार्वेकर भी मंत्रालय चाहते थे लेकिन उन्हें नहीं मिला और उन्हें दूसरी बार स्पीकर बनाया गया.हालाँकि, डिप्टी स्पीकर नरहरि महाशय, (जो अपने करीबियों को न्याय दिलाने के लिए कूद पड़े,) को मंत्रालय मिल गया, क्योंकि चुनाव से पहले ही उन्होंने मंत्रालय में जाल बिछा दिया गया था।

इसके अलावा महायुति में मंत्रालय न मिलने से शुरू हुई सुगबुगाहट धीरे-धीरे शोर में बदलती जा रही है.हालाँकि, महाविकास अघाड़ी इस मौके का फायदा नहीं उठा सकती क्योंकि उनका अस्तित्व खतरे में है। राजनीतिक पंडित भी शिंदेसेना में शिवसेना और अजित पवार में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की संभावना देख रहे हैं.मंत्रालय में अभी भी एक पद खाली है और अफवाह है कि यह पद शरद पवार गुट के वरिष्ठ नेता जयंत पाटिल के लिए है।

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