मुंबई वार्ता/सतीश सोनी

नागरिकों के खिलाफ वित्तीय धोखाधड़ी के रूप में ‘वर्चुअल जेल’ यानी ‘डिजिटल गिरफ्तारी’ का डर बढ़ता जा रहा है। मुंबई में औसतन हर ३ दिन में ‘डिजिटल गिरफ्तारी’ का एक मामला दर्ज हो रहा है।


मुंबई पुलिस द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, चालू वर्ष के पहले १० महीनों में वर्चुअल जेल (डिजिटल गिरफ्तारी) के कुल 128 मामले दर्ज किए गए हैं। इसके जरिए १०१ करोड़ रुपये की वित्तीय धोखाधड़ी की गई है। इसलिए, अब मुंबई पुलिस ने वरिष्ठ नागरिकों के घर जाकर इस बारे में जागरूकता पैदा करने का अभियान चलाया है।साइबर धोखाधड़ी में डिजिटल गिरफ्तारी सबसे आम अपराध है। नागरिकों को किसी ऐसी चीज़ का डर दिखाकर वित्तीय धोखाधड़ी की जा रही है जो वास्तव में मौजूद ही नहीं है।


कुछ दिन पहले, मुंबई में ‘डिजिटल गिरफ्तारी’ के नाम पर एक वरिष्ठ नागरिक से 58 करोड़ रुपये की ठगी हुई थी। जनवरी से अक्टूबर 2025 तक, मुंबई के विभिन्न पुलिस थानों और साइबर शाखाओं में ‘डिजिटल गिरफ्तारी’ के नाम पर वित्तीय धोखाधड़ी के 128 मामले दर्ज किए गए हैं। यानी औसतन हर 3 दिन में एक डिजिटल गिरफ्तारी का मामला दर्ज हो रहा है।साइबर स्कैमर्स द्वारा विभिन्न मामलों में यह बात सामने आई है कि वरिष्ठ नागरिक साइबर अपराधियों का शिकार बन रहे हैं। इन बढ़ती घटनाओं को देखते हुए, पुलिस ने वरिष्ठ नागरिकों में जागरूकता पैदा करने का निर्णय लिया है।
इसी क्रम में, क्षेत्रीय साइबर विभाग ने 29 अधिकारियों और 69 पुलिसकर्मियों की एक टीम बनाई है। वर्तमान में, यह टीम विभिन्न क्षेत्रों का दौरा कर वरिष्ठ नागरिकों से मिल रही है और उन्हें इस तरह की धोखाधड़ी के बारे में चेतावनी दे रही है। पुलिस उपायुक्त (साइबर) पुरुषोत्तम कराड ने बताया कि हम यह बताकर जागरूकता पैदा कर रहे हैं कि कैसे डिजिटल गिरफ्तारी के नाम पर वरिष्ठ नागरिकों को ठगा जा रहा है।


