‘म’ से मराठी नहीं ‘म’ से मनपा चुनाव साधना ही उबाठा-मनसे का उद्देश्य:- भाजपा, विधायक संजय उपाध्याय ।

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मुंबई वार्ता/अवधूत सारंग

‘म’ से मराठी नहीं ‘म’ से मनपा चुनाव साधना ही उबाठा-मनसे का मुख्य उद्देश्य है। इस प्रकार की तीखी प्रतिक्रिया भाजपा विधायक संजय उपाध्याय ने आज पत्रकारों से बात करते हुए दी है।

ज्ञात हो कि हाल ही में कक्षा 1 से 5 तक के विद्यार्थियों को हिंदी पढ़ाए जाने को मुद्दा बनाते हुए मनसे- उबाठा ने भाषावाद की मदद से महाराष्ट्र के लोगों के बीच तनाव पैदा करने की कोशिश की है। मराठी बोलने को लेकर मीरा रोड में एक व्यापारी के साथ गुंडागर्दी की गई।

इस विषय के बारे में पूछने पर भाजपा विधायक संजय उपाध्याय ने कहा कि,” मुंबई महानगर पालिका चुनाव होने वाले हैं। जब भी चुनाव नजदीक आते हैं, उबाठा-मनसे जैसी राजनीतिक पार्टियों को मराठी भाषा और मराठी लोगों की याद आती है।”

उद्धव ठाकरे पर तंज कसते हुए संजय उपाध्याय ने कहा कि, ” जो लोग सत्ता में रहने के दौरान मराठी भाषा, मुंबई के विकास जैसे मुद्दों पर निष्क्रिय पड़े रहे। जो लोग हनुमान चालीसा पढ़ने वालों को जेल में ठूस रहे थे। जिनके लोग गरीब जनता की खिचड़ी चुरा रहे थे। आज वो लोग मराठी भाषा को सिर्फ और सिर्फ चुनावी रणनीति के रूप मे इस्तेमाल कर रहे हैं।”

संजय उपाध्याय ने यह भी कहा कि,” मुंबई के विकास को रोकने वालों के पास जनता के सामने जाने के लिए मुद्दे ही नहीं बचे हैं। ऐसे में मराठी भाषा को लेकर गुंडागर्दी के द्वारा राजनीति चमकाने की कोशिश करने वालों को जनता जवाब देगी। जनता को भी समझ में आ गया है कि इनके ‘म’ का मतलब मराठी नहीं बल्कि इनके ‘म’ का मतलब मनपा चुनाव साधना है।”

संजय उपाध्याय ने यह भी कहा कि भाषावाद का मुद्दा उठाकर महाराष्ट्र की गौरवशाली संस्कृति और समृद्ध परंपरा को बाधित करने का प्रयास किया जा रहा है।

भाषा को लेकर परप्रांतियो के साथ की जा रही मारपीट को अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए बोरीवली के भाजपा विधायक संजय उपाध्याय ने कहा कि महाराष्ट्र में रहने वाले अन्य प्रांतों के लोग भी महाराष्ट्र और मराठी से उतना ही प्यार करते हैं, जितना यहां के लोग करते हैं। उन्होंने कहा कि हिंदी और मराठी दोनों भाषाओं की लिपि देवनागरी है तथा संस्कृत दोनों भाषाओं की जननी है।

उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में रहने वाला कोई भी व्यक्ति सपने में भी मराठी के अनादर की बात नहीं सोच सकता। आने वाली पीढ़ियां इतनी धड़ल्ले से मराठी बोल रही हैं कि बिना नाम बताएं कोई बता भी नहीं सकता कि उनका सरनेम क्या है?

संजय उपाध्याय ने कहा कि इस बार मुंबई महानगरपालिका से विपक्ष का सफाया होने जा रहा है। यही कारण है कि विपक्ष, लोगों को आपस में लड़ाकर अपनी राजनीतिक रोटी सेंकने के प्रयास में जुटा हुआ है। परंतु जनता सब जानती है और आने वाले दिनों में ऐसे लोगों को करारा सबक सिखाएगी।

संजय उपाध्याय ने यह भी पूछा कि मराठी के नाम पर एक होने का दिखावा करने वाले आखिर पहले अलग क्यों हुए थे?

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