श्रीश उपाध्याय/मुंबई वार्ता



विधानसभा चुनावों में विलेपार्ले विधानसभा में भाजपा के पराग अलवानी की उभाठा के संदीप नाइक से सीधी टक्कर है. हालाकि पलड़ा भाजपा के पराग अलवानी का भारी दिखाई दे रहा है.
वर्ष 2014 में जब सभी पार्टियां अलग-अगल चुनाव लडी थी तब भाजपा के पराग को 74270 मत मिले थे. दूसरे नंबर पर शिवसेना के शशिकांत पाटकर को 41,835 मत और तीसरे नंबर पर रही कॉंग्रेस के कृष्णा हेगड़े को 24,191 मत मिले थे. मनसे को मात्र 5882 मत मिले थे.
वर्ष 2019 विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा- शिवसेना मिलकर चुनाव लडी थी. उस समय भाजपा के पराग अलवानी को 84991, कॉंग्रेस को 26,564, मनसे को 18,406 मत मिले थे. इस नतीजे से स्पष्ट हो जाता है कि शिवसेना उम्मीदवार न होने पर शिवसेना का मराठी मतदाता मनसे और भाजपा के बीच बट जाता है. इसीलिए भाजपा के मत मे मात्र 10,000 मतों की बढ़ोतरी हुई जबकि मनसे के मत मे करीब 13,000 मतों की बढ़ोतरी हुई थी.


इस बार विधानसभा चुनाव में विलेपार्ले से भाजपा उम्मीदवार पराग अलवानी को उभाठा उम्मीदवार संदीप नाइक सीधी टक्कर दे रहे है. उभाठा को इस बार कॉंग्रेस का सहयोग प्राप्त है. ऐसे हालात मे यदि शिवसेना को वर्ष 2014 की तरह 41,000 मत मिले और कॉंग्रेस के 24,000 मत भी मिल जाए तब भी उभाठा उम्मीदवार संदीप नाइक 65,000 मतों से आगे जाते नहीं दिख रहे हैं. इससे स्पष्ट हो जाता है कि ऐसे हालात मे भी भाजपा के पराग अलवानी करीब 10,000 मतों से चुनाव जीत सकते हैं.
इसके अलावा शिवसेना में फ़ूट पड़ने के कारण शिवसेना के कोर 41,000 मतों में भी सेंध लगी है. इस गुण-गणित को ध्यान में रखकर आंकलन किया जाए तो भाजपा के पराग अलवानी करीब 15 से 20 हज़ार मतों से आगे दिखते हैं.
विलेपार्ले विधानसभा में कॉंग्रेस का उम्मीदवार न होने के कारण कॉंग्रेसी मतदाता शिथिल पड़ सकते हैं. यदि ऐसा हुआ तो उभाठा उम्मीदवार संदीप नाइक की हार करीब 30 हज़ार मतों से हो सकती है. इस चुनाव से एक बात जरूर सामने आएगी की पार्टी गठबंधन से मतदाता भी पूरी तरह एकदूसरे से जुड़ते है या नहीं.


