संगीत के बारहों स्वरों की साधना में सुंदरम सेंट्रल स्कूल की छात्राएं

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पालघर/ मुंबई वार्ता/ संजय गिरी

पालघर स्थित सुंदरम सेंट्रल स्कूल की छात्राएं इन दिनों संगीत की बारहों स्वरों की साधना कर रही हैं। अपनी बांसुरी के मधुर सुरों से बच्चों ने संगीत की एक नई ऊंचाई छूने का प्रयास किया है। यह विशेष साधना स्कूल के आगामी वार्षिकोत्सव में अपनी छटा बिखेरेगी।

इस अद्वितीय पहल की जानकारी देते हुए योग और संगीत गुरु, ब्रह्मर्षि श्री भारत भूषण भारतेंदु ने बताया कि यह पालघर का एकमात्र स्कूल है, जहां लगभग सभी बच्चे बांसुरी बजाना सीखते हैं।

उन्होंने कहा, “बांसुरी न केवल एक वाद्ययंत्र है, बल्कि यह बच्चों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के सर्वांगीण विकास में सहायक है।”

गुरुजी ने भगवान श्रीकृष्ण और बलराम जी के उदाहरण का उल्लेख करते हुए कहा कि बलराम जी की शारीरिक शक्ति और श्रीकृष्ण की मानसिक शक्ति का एक महत्वपूर्ण कारण बांसुरी भी थी।

उन्होंने बताया कि बांसुरी बजाने से बच्चों के फेफड़े, वोकल कॉर्ड, मस्तिष्क, और एकाग्रता का अद्वितीय विकास होता है।श्री भारत भूषण भारतेंदु ने “हर हाथ बांसुरी, हर सांस बांसुरी” मुहिम का जिक्र करते हुए बताया कि इसकी शुरुआत सुंदरम सेंट्रल स्कूल से ही की गई है।

उनका मानना है कि देश के प्रत्येक विद्यालय में बांसुरी बजाना सिखाया जाना चाहिए, जिससे बच्चों का सर्वांगीण विकास सुनिश्चित हो सके।सुंदरम सेंट्रल स्कूल के वार्षिकोत्सव में इन छात्राओं की बांसुरी प्रस्तुति का सभी को बेसब्री से इंतजार है। यह प्रयास न केवल एक संगीत साधना है, बल्कि बच्चों को एक नई दिशा देने वाला प्रेरणास्रोत भी है।

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