सुप्रीम कोर्ट के निर्देश, अब रास्ते न खोजें, स्थानीय स्वराज्य संस्थाओं के चुनाव कराएं: हर्षवर्धन सपकाल।

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● चौंडी की मंत्रिमंडल बैठक में लिए गए निर्णयों का हो अमल, वे केवल जुमले साबित न हों।

● पहलगाम हमले को लेकर सरकार जो निर्णय लेगी, कांग्रेस उसका समर्थन करेगी।

मुंबई वार्ता संवाददाता

राज्य में स्थानीय स्वराज्य संस्थाओं के चुनाव चार महीनों के भीतर कराए जाएं, ऐसा निर्देश सुप्रीम कोर्ट ने दिया है। इससे इन चुनावों का रास्ता साफ हो गया है। अब राज्य सरकार को किसी भी प्रकार की देरी या बहानेबाजी किए बिना ये चुनाव कराकर नगरसेवक, महापौर, सभापति पदों की पूर्व प्रतिष्ठा बहाल करनी चाहिए, ऐसा महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस कमिटी के अध्यक्ष हर्षवर्धन सपकाल ने कहा।

कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष हर्षवर्धन सपकाल ने आगे कहा कि 73वें संविधान संशोधन के माध्यम से पंचायत राज व्यवस्था लागू की गई और सत्ता का विकेंद्रीकरण किया गया। इससे नगरसेवक, नगराध्यक्ष, महापौर, सभापति जैसे पदों का निर्माण हुआ। लेकिन पिछले कई वर्षों से स्थानीय स्वराज्य संस्थाओं के चुनाव कराए ही नहीं गए। केंद्र में मोदी-शाह और राज्य में फडणवीस को सत्ता पूरी तरह अपने हाथ में ही चाहिए थी, इस जिद्दी रवैये के चलते चुनाव नहीं कराए गए। अब सुप्रीम कोर्ट ने ही जब चुनाव कराने का आदेश दिया है, तो सरकार को यह आदेश मानकर विकेंद्रीकरण की दिशा में काम करना चाहिए, ऐसा सपकाळ ने कहा।

● चौंडी मंत्रिमंडल बैठक…

राजमाता पुण्यश्लोक अहिल्यादेवी होलकर की त्रिशताब्दी जयंती के अवसर पर चौंडी गांव में मंत्रिमंडल की बैठक हुई, जिसमें 5000 करोड़ रुपये के कार्यों की घोषणा की गई। लेकिन राज्य सरकार की आर्थिक स्थिति को देखते हुए सवाल उठता है कि इन योजनाओं के लिए पैसा कहां से आएगा। सरकार के पास ‘लाडकी बहन योजना’ के लिए निधि नहीं थी, इसलिए सामाजिक न्याय विभाग का बजट वहां ट्रांसफर किया गया। पिछले महीने एसटी कर्मचारियों को वेतन देने के लिए भी पैसे नहीं थे। किसानों की कर्जमाफी के लिए भी पैसा नहीं है, तो इन घोषणाओं को अमल में कैसे लाया जाएगा? चुनाव से पहले भी ऐसी बड़ी-बड़ी घोषणाएं की गई थीं, लेकिन उन पर अमल नहीं हुआ।

2014 के चुनाव से पहले भी देवेंद्र फडणवीस ने कहा था कि सत्ता में आते ही पहली मंत्रिमंडल बैठक में धनगर समाज को आरक्षण देंगे, लेकिन उसका क्या हुआ, सबने देखा। अब चौंडी की मंत्रिमंडल बैठक में की गई घोषणाएं भी पहले जैसी जुमलेबाजी न बनें, ऐसा हर्षवर्धन सपकाल ने कहा।पहलगाम हमला…पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले से पूरे देश में आक्रोश है। इस हमले के बारे में खुफिया विभाग ने पहले से संकेत दिए थे, फिर भी सरकार ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया—अगर मल्लिकार्जुन खड़गे ऐसा कह रहे हैं, तो उनके कथन में सच्चाई होगी। खड़गे जी को 50 वर्षों का राजनीतिक अनुभव है, वे राज्यसभा में विपक्ष के नेता हैं। उन्होंने जो सवाल उठाए हैं, उन पर केंद्र सरकार को अपना भूमिका स्पष्ट करनी चाहिए। पहलगाम के मुद्दे पर केंद्र सरकार जो निर्णय लेगी, कांग्रेस उसका समर्थन करेगी। ऐसे समय में देश को एकजुटता का संदेश देना चाहिए। लेकिन हमले के 10 दिन बाद भी सरकार की ओर से कोई ठोस कदम नहीं दिखा है, ऐसा भी कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष ने कहा।

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