मुंबई वार्ता संवाददाता

मुस्लिम समुदाय के कब्रिस्तान के लिए आरक्षित कंजूरमार्ग (CTS No. 657/A) की ज़मीन 1972 से अब तक हस्तांतरित नहीं की गई है। इस संबंध में स्थानीय आरटीआई कार्यकर्ता अनवर शेख ने सुप्रीम कोर्ट और मुंबई उच्च न्यायालय को भेजे आवेदन में राज्य सरकार, शहरी विकास विभाग, गृह विभाग, कलेक्टर तथा अन्य प्रशासनिक अधिकारियों को लापरवाही के लिए जिम्मेदार ठहराया है।


आवेदन में कहा गया है कि मुस्लिम समाज को दफन के लिए लगातार भूमि की कमी का सामना करना पड़ रहा है। जगह की तंगी के कारण कई बार शवों को मात्र छह माह बाद निकालना पड़ता है, जिससे न केवल धार्मिक भावनाएं आहत होती हैं, बल्कि सार्वजनिक स्वास्थ्य पर भी गंभीर असर पड़ता है।
अनवर शेख ने अपने आवेदन में भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 21 और 25, महाराष्ट्र भू-राजस्व संहिता तथा मुंबई महानगर पालिका अधिनियम का उल्लेख करते हुए मांग की है कि CTS No. 657/A की भूमि का पांच दिनों के भीतर एनओसी जारी कर एमसीजीएम को सौंपा जाए ताकि आधुनिक व सुव्यवस्थित कब्रिस्तान विकसित किया जा सके। साथ ही राज्य सरकार से कब्रिस्तान के विस्तार, सुरक्षा और आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराने की भी मांग की गई है, जिससे मुस्लिम समुदाय का अंतिम संस्कार धर्मानुसार और सम्मानपूर्वक हो सके।


उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि 30 दिनों के भीतर कोई कार्रवाई नहीं की गई तो वे आजाद मैदान में अमरण (सकली) अनशन शुरू करेंगे। आवेदन में यह भी उल्लेख है कि इस भूमि पर वर्षों से सरकारी परियोजनाएं चल रही हैं, जबकि मुस्लिम समाज की लंबित मांग को लगातार अनदेखा किया गया है। अब न्यायपालिका से अपेक्षा की गई है कि वह इस संवैधानिक अधिकार के हनन का संज्ञान ले।
गौरतलब है कि मुंबई उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय पहले भी अल्पसंख्यक कब्रिस्तानों की सुरक्षा और भूमि आवंटन को लेकर कई दिशा-निर्देश जारी कर चुके हैं। मुस्लिम समुदाय ने प्रशासन से आग्रह किया है कि इस संवेदनशील विषय का शीघ्र समाधान निकाला जाए ताकि सम्मानजनक दफन का अधिकार और मानवाधिकार दोनों सुरक्षित रहें।


