देश के पिलर थे रतन टाटा

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टाटा संस के पूर्व चेयरमैन और दिग्गज उद्योगपति रतन टाटा ने दुनिया को अलविदा कह दिया। टाटा ग्रुप का प्रतिष्ठित चेहरा रहे रतन टाटा ने कंपनी की 150 साल से भी ज्यादा पुरानी विरासत को आगे ले जाने में ऐतिहासिक भूमिका निभाई। अपने कार्यकाल में वह टाटा ग्रुप को वैश्विक स्तर पर प्रसिद्धि दिलाने में सफल रहे। उनके नेतृत्व में टाटा ग्रुप का कारोबार तेजी से आगे बढ़ा और दुनिया भर में टाटा का डंका बजा। अपनी विनम्रता, करुणा और दूरदर्शी नेतृत्व के लिए पहचान बनाने वाले रतन टाटा ने आर्थिक सुधार और वैश्वीकरण के दौर में न सिर्फ टाटा ग्रुप का मार्गदर्शन किया, बल्कि दो दशक से अधिक समय तक भारतीय व्यापार परिदृश्य को नया आकार देने में मदद की। रतन टाटा को उनकी ईमानदारी, नैतिक नेतृत्व और परोपकार के प्रति प्रतिबद्धता के लिए जाना जाता था, जिसने उन्हें भारत और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक प्रतिष्ठित व्यक्ति बना दिया।वह अक्सर कहते थे कि ‘हमारी दादी ने हमें हर कीमत पर गरिमा बनाए रखना सिखाया। यह एक ऐसा मूल्य है, जो आज तक मेरे साथ है।’ उनके इसी गुण ने उनके प्रभाव को व्यापार के पारंपरिक क्षेत्रों से कहीं आगे तक फैलाया। उनकी साख केवल उद्योग जगत में ही नहीं थी। वह इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्म इंस्टाग्राम और एक्स पर भी बेहद लोकप्रिय थे। भारत में रतन टाटा एक ऐसा नाम रहा, जिसने आम आदमी को कार मालिक बनने का सपना दिखाया। उन्होंने देश को इसका भी अहसास कराया कि वैश्विक स्तर पर भारतीय कंपनियां नामी विदेशी कंपनियों से बराबरी कर सकती हैं। उन्होंने अपनी कंपनियों को विश्वस्तरीय बनाया। उन्होंने टाटा ग्रुप को ग्लोबल बनाया, जो कभी एक देसी ग्रुप के रूप में ही अपनी पहचान रखता था। उन्होंने टाटा टी को टेटली, टाटा मोटर्स को जगुआर, लैंड रोवर तथा टाटा स्टील को कोरस का अधिग्रहण करने में मदद की, जिससे यह संगठन मुख्यतः भारत-केंद्रित
समूह से वैश्विक व्यवसाय में परिवर्तित हो गया। इसी के चलते उनके 21 वर्षों के कार्यकाल में टाटा ग्रुप का राजस्व 40 गुना से अधिक तथा लाभ 50 गुना से अधिक बढ़ा।
टाटा समूह ने रतन टाटा के नेतृत्व में प्रौद्योगिकी और दूरसंचार सहित विभिन्न क्षेत्रों में विविधता की ओर कदम बढ़ाए, जिसने भारत के डिजिटल परिदृश्य के लिए आधार तैयार किया। रतन टाटा के दूरदर्शी नेतृत्व, नवाचार के प्रति प्रतिबद्धता और सामाजिक जिम्मेदारी पर ध्यान ने देश के तकनीकी परिदृश्य को नया आकार दिया। उनके दूरदर्शी दृष्टिकोण ने कई पहलों को जन्म दिया, जिससे देश को डिजिटल अर्थव्यवस्था की ओर ले जाने में मदद मिली। रतन टाटा ने प्रौद्योगिकी की क्षमता को बहुत पहले ही पहचान लिया था। टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) जैसी कंपनियों ने भारत में एक मजबूत आइटी सेवा उद्योग स्थापित करने में सहायता की, जिससे देश को वैश्विक आइटी हब के रूप में पहचान मिली। उनके प्रयासों से टीसीएस साफ्टवेयर डेवलपमेंट और कंसल्टेंसी में एक प्रमुख नाम बनी, जिसने दुनिया भर में व्यवसायों के डिजिटल परिवर्तन में योगदान दिया।
समय के साथ रतन टाटा ने अपना ध्यान समूह से वैश्विक व्यवसाय में परिवर्तित हो गया। इसी के चलते उनके 21 वर्षों के कार्यकाल में टाटा ग्रुप का राजस्व 40 गुना से अधिक तथा लाभ 50 गुना से अधिक बढ़ा।

टाटा समूह ने रतन टाटा के नेतृत्व में प्रौद्योगिकी और दूरसंचार सहित विभिन्न क्षेत्रों में विविधता की ओर कदम बढ़ाए, जिसने भारत के डिजिटल परिदृश्य के लिए आधार तैयार किया। रतन टाटा के दूरदर्शी नेतृत्व, नवाचार के प्रति प्रतिबद्धता और सामाजिक जिम्मेदारी पर ध्यान ने देश के तकनीकी परिदृश्य को नया आकार दिया। उनके दूरदर्शी दृष्टिकोण ने कई पहलों को जन्म दिया, जिससे देश को डिजिटल अर्थव्यवस्था की ओर ले जाने में मदद मिली। रतन टाटा ने प्रौद्योगिकी की क्षमता को बहुत पहले ही पहचान लिया था। टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) जैसी कंपनियों ने भारत में एक मजबूत आइटी सेवा उद्योग स्थापित करने में सहायता की, जिससे देश को वैश्विक आइटी हब के रूप में पहचान मिली। उनके प्रयासों से टीसीएस साफ्टवेयर डेवलपमेंट और कंसल्टेंसी में एक प्रमुख नाम बनी, जिसने दुनिया भर में व्यवसायों के डिजिटल परिवर्तन में योगदान दिया।
स्टार्टअप की ओर लगाया। ओला और पेटीएम सहित विभिन्न प्रौद्योगिकी संचालित कंपनियों में उनके निवेश ने उभरते उद्यमियों को महत्वपूर्ण वित्तीय सहायता और मार्गदर्शन प्रदान किया। उनका समर्थन भारत में नवाचार को बढ़ावा देने और एक जीवंत स्टार्टअप इकोसिस्टम बनाने में सहायक रहा। कारपोरेट सामाजिक जिम्मेदारी पर उनके जोर ने वंचित समुदायों में डिजिटल साक्षरता के विस्तार में मदद की। वह चाहते थे कि डिजिटलीकरण के लाभ व्यापक आबादी तक पहुंचें, जिससे डिजिटल खाई को पाटा जा सके। रतन टाटा के मार्गदर्शन में टाटा टेली सर्विसेज की शुरुआत भारत के दूरसंचार क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुई। इसने शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में कनेक्टिविटी बढ़ाने में मदद की।
पिछले 100 वर्षों में दुनिया भर के सबसे बड़े दानदाताओं की सूची में टाटा ग्रुप के संस्थापक जमशेदजी टाटा का नाम पहले नंबर पर है। रतन टाटा भी दान के मामले में पीछे नहीं थे। टाटा समूह ने कोविड महामारी से लड़ने के लिए भारत सरकार को 1,500 करोड़ रुपये का दान किया था। रतन टाटा ने एक बार कहा था कि ‘हम लोग इंसान हैं, कोई कंप्यूटर नहीं। इसलिए जीवन का मजा लीजिए। इसे हमेशा गंभीर मत बनाइए।’ उनके ये विचार किसी भी इंसान को न सिर्फ जीवन के वास्तविक यथार्थ से परिचित कराएंगे, बल्कि जीवन को कैसे जिएं यह भी सिखाएंगे। समाज सेवा का जज्बा रखने वाले रतन टाटा के बनाए अनेक संस्थान समाज और राष्ट्र निर्माण का काम करते हैं। वे उन दानवीरों में से थे, जो इसका प्रचार नहीं करते थे कि उन्होंने लोगों के कल्याण के लिए कितना पैसा खर्च किया है। अपनी काबिलियत के दम पर विशाल साम्राज्य खड़ा करने वाले रतन टाटा भारत रत्न के सच्चे हकदार हैं।

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