मुंबई वार्ता संवाददाता

मराठी को प्रतिष्ठित वैभव प्रदान करने के लिए सरकार हर संभव प्रयास करेगी, यह आश्वासन देते हुए उपमुख्यमंत्री पवार ने घोषणा की कि नई दिल्ली में मराठी समुदाय के लिए एक भव्य स्वतंत्र भवन बनाया जाएगा।
उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र की समृद्ध संस्कृति के अनुरूप इस भवन के लिए आगामी बजट में सरकार पर्याप्त धनराशि उपलब्ध कराएगी। सरकार सद्भावना से सांस्कृतिक गतिविधियों के लिए सहायता प्रदान कर रही है, और इसे ध्यान में रखते हुए साहित्यकारों को स्वाभिमान के साथ साहित्य सृजन करना चाहिए।महाराष्ट्र के सभी स्कूलों में मराठी भाषा की शिक्षा अनिवार्य कर दी गई है। यदि इसमें कोई कमी होगी, तो इसकी पुनः समीक्षा की जाएगी। मराठी को ज्ञान की भाषा बनाना, इसकी उपयोगिता बढ़ाना, और इसे व्यापक रूप से जाना-पहचाना जाना आवश्यक है, जिसके लिए विशेष प्रयास किए जाएंगे। मराठी भाषा को प्रतिष्ठित वैभव प्रदान करने के लिए हरसंभव कोशिश की जाएगी। मराठी भाषा के संरक्षण और प्रचार-प्रसार के लिए सरकार धन की कोई कमी नहीं होने देगी। इसके साथ ही, महाराष्ट्र-कर्नाटक सीमा पर रहने वाले मराठी भाषी लोगों के समर्थन में सरकार पूरी तरह खड़ी रहेगी, यह भी उपमुख्यमंत्री पवार ने स्पष्ट किया।
उपमुख्यमंत्री पवार ने कहा कि मराठी को अभिजात भाषा का दर्जा मिलने के बाद आयोजित होने वाले पहले अखिल भारतीय साहित्य सम्मेलन का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किया जाना एक ऐतिहासिक क्षण है। मराठी को अभिजात भाषा का दर्जा देने के फैसले के लिए उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी का आभार व्यक्त किया।हर वर्ष पंढरपुर में विठ्ठल भक्तों का भव्य समागम होता है। उसी तरह, साहित्य सम्मेलन के माध्यम से हर वर्ष अलग-अलग स्थानों पर साहित्यिकों का संगम होता है, जिससे एक ‘साहित्यिक पंढरपुर’ का निर्माण होता है। भक्ति, संतोष और नई ऊर्जा – ये दोनों ही इनकी की विशेषताएँ हैं, और साहित्य सम्मेलन से प्राप्त ऊर्जा से नए साहित्य की रचना होनी चाहिए। साहित्यकारों की लेखनी में समाज को जागरूक करने और सही दिशा दिखाने की शक्ति होती है, और इसका उपयोग सकारात्मक बदलाव के लिए किया जाना चाहिए।
उपमुख्यमंत्री पवार ने कहा कि प्रतिष्ठित साहित्यकारों को नवोदित लेखकों को उनकी गुणवत्ता के आधार पर अवसर देने चाहिए। साथ ही, साहित्य सम्मेलन में विभिन्न क्षेत्रों के मराठी भाषी युवाओं की भागीदारी बढ़नी चाहिए।उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि वर्तमान में ‘छावा’ फिल्म के माध्यम से छत्रपति संभाजी महाराज का इतिहास युवा पीढ़ी के सामने आ रहा है। छत्रपति संभाजी महाराज स्वयं एक साहित्यकार भी थे। इस संदर्भ में, राज्य सरकार ने तुळापूर, वढू में उनके भव्य स्मारक के निर्माण का निर्णय लिया है।