मुंबई वार्ता संवाददाता

दक्षिण मुंबई के जवेरी बाजार, भोईवाड़ा और कालबादेवी सदियों से व्यापार का धड़कता हुआ दिल रहे हैं। आभूषण, इमीटेशन ज्वेलरी और वस्त्र उद्योग ने न केवल शहर की पहचान बनाई है, बल्कि भारत की अर्थव्यवस्था में भी अहम योगदान दिया है। इनके साथ-साथ मेटल मार्केट, स्टेनलेस स्टील मार्केट, गुलालवाड़ी का हार्डवेयर हब और लोहार चाल का इलेक्ट्रॉनिक्स बाजार भी इस पारंपरिक व्यापारिक धरोहर को और मजबूत करते हैं।


आज का सवाल यह हैं कि जब सरकार नवी मुंबई एयरपोर्ट, मेट्रो नेटवर्क और नए टाउनशिप जैसे प्रोजेक्ट्स पर तेजी से काम कर रही हैं, तो दक्षिण मुंबई के इन बाजारों को आधुनिक रूप देने की जिम्मेदारी कौन उठाएगा? इसका उत्तर साफ है—*व्यापारी संगठनों और एसोसिएशनों को अब दूरदृष्टि दिखानी होगी।*सरकार का कहना है—“कोई भी व्यापार कभी खत्म नहीं होता, व्यापारी बूढ़ा हो सकता हैं लेकिन उसकी सोच हमेशा युवा रहनी चाहिए।” यही सोच नई पीढ़ी को प्रेरित करेगी कि वे अपनी पारंपरिक गद्दी को छोड़कर किसी और की कंपनी में नौकरी करने के बजाय अपने ही व्यवसाय को नए स्वरूप में आगे बढ़ाएँ।
अगर जवेरी बाजार की जेम्स एंड ज्वेलरी एसोसिएशन, भोईवाड़ा की इमीटेशन ट्रेडर्स एसोसिएशन, कालबादेवी की कपड़ा व्यापार चैम्बर, गुलालवाड़ी के हार्डवेयर संगठनों और लोहार चाल के इलेक्ट्रॉनिक डीलर्स एसोसिएशन मिलकर एक साझा विज़नरी ब्लूप्रिंट तैयार करें, तो यह इलाका एक *इंटरनेशनल ट्रेड कॉरिडोर* बन सकता है।कल्पना कीजिए—संकरी गलियों की जगह चौड़ी सड़कों पर वर्ल्ड-क्लास शोरूम, सुरक्षित मल्टी-स्टोरीड बिल्डिंग्स, अत्याधुनिक शॉपिंग कॉम्प्लेक्स, फूड कोर्ट, एंटरटेनमेंट पार्क और स्मार्ट ट्रैफिक सिस्टम हो। ऐसा वातावरण जहाँ ग्राहक को दुबई या सिंगापुर जाने की बजाय मुंबई में ही इंटरनेशनल क्वालिटी की सुविधाएँ मिले।
आज यह जिम्मेदारी सिर्फ सरकार की नहीं, बल्कि व्यापारिक संगठनों की भी हैं। उन्हें ठोस योजना बनाकर सरकार के सामने रखना होगा और बताना होगा कि कैसे यह पुराना धरोहर क्षेत्र भविष्य में एशिया का सबसे बड़ा ग्लोबल ट्रेड हब बन सकता हैं।
सोने की चमक, फैशन की रौनक, वस्त्रों की विविधता, स्टील और हार्डवेयर की मजबूती और इलेक्ट्रॉनिक्स की गति—अगर ये सभी उद्योग एकजुट हो जाएं, तो कालबादेवी-जवेरी बाजार और आस-पास का इलाका सिर्फ मुंबई का ही नहीं, पूरे विश्व का बेमिसाल व्यापारिक केंद्र बन सकता हैं।


