फेरीवालों को बसाने का राजनीतिक गोरखधंधा शुरू .

Date:

श्रीश उपाध्याय/ मुंबई वार्ता

मुंबई के स्टेशनो के बाहर से फेरीवालों को हटाए जाने के बाद उन्हें फिर से स्थापित करने के लिए राजनीतिक दबाव तंत्र का गोरखधंधा फिर शुरू हो रहा है.
ज्ञात हो कि कुर्ला की हृदय विदारक दुर्घटना के बाद प्रशासन ने सख्त रुख अपनाते हुए मुंबई के रेल्वे स्टेशनो के बाहर से फेरीवालों को हटा दिया है. हालाकि मुंबई उच्च न्यायालय के निर्देशानुसार सभी स्टेशन के बाहर 150 मीटर तक किसी भी फेरीवालों को व्यापार करने की अनुमति नहीं है. देर से ही सही प्रशासन की नींद खुली और फेरीवालों को स्टेशन के बाहर से हटाया गया है.
अब उन फेरीवालों को बसाकर हफ्ता वसूली करने वाले सक्रिय हो गए हैं.

फेरीवालों का धंधा कैसे होता है ?

दरअसल किसी भी स्टेशन के बाहर कोई भी गरीब फेरीवाला धंधा नहीं लगा सकता. हर स्टेशन के बाहर एक फेरीवाला माफिया बैठा है. जो सभी फेरीवालों से हफ्ता वसूली कर स्थानीय पुलिस, महानगर पालिकाकर्मी, स्थानीय विधायक, सांसद के चिन्दी- चोर गली छाप नेताओ की जेब गरम करते हैं. मजाल है कि इन फेरीवाला माफियाओं की मर्जी के खिलाफ कोई गरीब धंधा कर ले.

पिछले कई दशकों से मुंबई में इस धंधे को पनपाने में राजनीतिक पार्टियों का हाथ रहा है. जब भी कोई ईमानदार पुलिस वाला या मनपा कर्मी फेरीवालों के ख़िलाफ़ कार्रवाई करता फेरीवाला माफिया ऐक्टिव हो जाता है. क्यों कि बात उसके हफ्ते के रूप में हो रही मोटी कमाई की होती हैं. जैसे ही इस हफ्ते की कमाई पर कोई रोक लगाता है , उस फेरीवाला माफिया के विभिन्न राजनीतिक दलों में बैठे दलाल ऐक्टिव होते हैं और जो भी ईमानदारी से फेरीवालों की समस्या को दूर करना चाहता है उसके खिलाफ षणयंत्र शुरू होता है दबाव तंत्र का.
फेरीवाला माफिया के आका ,राजनीतिक नेता गरीब फेरीवालों का हवाला देकर अपनी रोटी सेकने की तैयारी में जुट जाते हैं.

फेरीवालों की समस्या से लोग हैं परेशान

फेरीवालों की समस्या से लोग ऊब चुके हैं. हर विधानसभा में फेरीवालों की संख्या 200-400 से ज्यादा नहीं है लेकिन उन विधानसभाओ में फेरीवालों से त्रस्त लोगों की संख्या लाखों में है. हर स्टेशन के बाहर फुटपाथ के साथ रास्तों पर भी फेरीवालों ने कब्जा कर रखा है इसीलिए यातायात की समस्या भी बढ़ रही है. इसी बात को ध्यान में रखते हुए भाजपा के नवनिर्वाचित विधायक संजय उपाध्याय ने बोरीवली स्टेशन को फेरीवाला मुक्त करने की मुहिम चलाई है.
पहले तो संजय उपाध्याय को फेरीवाला माफिया ने खरीदने की कोशिश की. जब ईमानदार विधायक संजय उपाध्याय नहीं माने तो उन्हें धमकाने की बजाय उनकी पत्नी को प्यार से धमकाने की तकनीकी अपनाई गई. इस पर भी बात नहीं बनी तो गत सोमवार को उत्तर प्रदेश के एक माफिया के भाई ने उन्हें प्यार से फेरीवालों की गरीबी का हवाला देते हुए फेरीवालों की मदद करने को कहा. यह नुस्खा भी काम नहीं आया तो अब फेरीवालों के राजनीतिक आका मैदान में उतरे हैं और संजय उपाध्याय को उत्तर भारतीयों का विरोधी बताने की जुगाड़ में लगे हैं. जबकि सच्चाई यह है कि पूरी मुंबई में उत्तर भारतीय फेरीवालों की संख्या कुछ हज़ार में है जबकि मुस्लिम फेरीवालों की संख्या लाखों में है. तो सवाल यह उठता है कि क्या उत्तर भारतीयों के नाम पर मुंबई के फुटपाथ पर कब्जा किए मुसलामान फेरीवालों को बचाने की कोशिश तो नहीं की जा रही है ? क्या मुंबई की सड़कों और फुटपाथ का इस्लामीकरण किया जा रहा है ?

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Share post:

Subscribe

spot_imgspot_img

प्रमुख खबरे

More like this
Related

शरीर और मन को स्वस्थ रखने के लिए करें योग : राहुल तिवारी।

मुंबई वार्ता/शिव पूजन पांडेय विश्व योग दिवस के अवसर...

राजकोट रेल मंडल पर उत्साहपूर्वक मनाया गया ‘अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस’।

मुंबई वार्ता/सतीश सोनी पश्चिम रेलवे के राजकोट मंडल में...

फ्यूजन ऑफ कल्चर्स’ थीम पर आधारित ‘ला क्लासे 2025’ फैशन शो ने बटोरे प्रशंसा के रंग।

सूर्यदत्त इंस्टिट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी द्वारा 13वें वार्षिक फॅशन शो का...

सिद्धिविनायक मंदिर में हुआ योग शिविर का आयोजन।

मुंबई वार्ता/श्रीश उपाध्याय आज 21 जून को आंतरराष्ट्रीय योग...