बीकानेर का अभय जैन ग्रंथालय बना राजस्थान का प्रथम पांडुलिपि संरक्षण केंद्र।

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मुंबई वार्ता/संजय जोशी

भारत की प्राचीन पांडुलिपियों के संरक्षण और डिजिटलीकरण में एक ऐतिहासिक कदम उठाया गया है। केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय ने देशभर के 17 संस्थानों के साथ महत्वपूर्ण समझौता किया है, जिसमें राजस्थान का प्रतिनिधित्व ‘अभय जैन ग्रंथालय, बीकानेर’ द्वारा किया गया। यह ग्रंथालय अब राज्य का पहला आधिकारिक पांडुलिपि संरक्षण केंद्र बन गया है।

राजधानी दिल्ली स्थित राष्ट्रीय आधुनिक कला संग्रहालय में आयोजित समारोह में इस समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। कार्यक्रम में 12 राज्यों के प्रतिनिधि संस्थान और 5 प्रतिष्ठित संगठन शामिल हुए।ग्रंथालय के निदेशक ऋषभ नाहटा ने केंद्रीय कला एवं संस्कृति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत से समझौता पत्र प्राप्त किया। कार्यक्रम में संस्कृति मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी संस्कृति सचिव विवेक अग्रवाल, संयुक्त सचिव समर नंदा, निदेशक इंद्रजीत सिंह और प्रोजेक्ट डायरेक्टर अनिर्वाण दास भी उपस्थित रहे।

संस्कृति मंत्रालय ने इस अवसर पर स्पष्ट किया कि पांडुलिपियों के डिजिटलीकरण और संरक्षण की समयसीमा तो तय है, लेकिन गुणवत्ता से किसी भी प्रकार का समझौता नहीं किया जाएगा। यह समझौता न केवल अभय जैन ग्रंथालय को राज्य का अग्रणी केंद्र बनाता है, बल्कि भारत की अमूल्य सांस्कृतिक विरासत को भविष्य की पीढ़ियों के लिए सुरक्षित करने का भी प्रतीक है।

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