- 99 उम्मीदवारों में से महज एक उत्तर भारतीय
मुंबई (सं. भा.) लोकसभा चुनाव में उत्तर भारतीयों की नाराजगी झेलने के बाद भी भाजपा की चेतना जागृत नही हुई है। इसका प्रत्यक्ष उदाहरण विधानसभा चुनाव के लिए 99 उम्मीदवारों की जारी की गई पहली लिस्ट है। इस लिस्ट में गोरेगांव पश्चिम विधानसभा से विद्या जयप्रकाश ठाकुर के नाम का समावेश है। जबकि मुंबई और आसपास के इलाकों में 50 लाख के करीब उत्तर भारतीय मतदाता रहते हैं। विधानसभा उम्मीदारों की जारी किए गए पहली लिस्ट से खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहा उत्तर भारतीय समाज अब भाजपा उम्मीदवारों के आगामी लिस्ट का इंतजार कर रहा है। इस बार उत्तर भारतीयों को भाजपा ने उचित सम्मान नही दिया तो इस विधानसभा चुनाव में उसे तगड़ा झटका लग सकता है।
बता दें कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी ने 99 उम्मीदवारों वाली अपनी पहली सूची रविवार को जारी कर दी। लेकिन इसमें आश्चर्यजनक यह है कि बीजेपी ने एक बार फिर से उत्तर भारतीयों को नजरअंदाज किया है। 99 लोगों की सूची में सिर्फ एक उत्तर भारतीय विद्या जयप्रकाश ठाकुर (गोरेगांव) को उम्मीदवारी दी गई है। इससे बीजेपी के उत्तर भारतीय नेताओं में भारी नाराजगी देखने को मिल रही है। लोकसभा चुनाव में उत्तर भारतीयों की उपेक्षा के परिणाम स्वरूप उत्तर भारतीय वोट बैंक खिसकने का खामियाजा बीजेपी को भुगतना पड़ा था। विधानसभा चुनाव में लिए बीजेपी में उत्तर भारतीय वोट को फिर से अपने पाले में करने के लिए प्रयास किया जा रहा है। यूपी-बिहार के विधायकों, सांसदों को बीजेपी के उम्मीदवारों के प्रचार के लिए खासतौर पर मुंबई में बुलाया गया है। लेकिन बीजेपी में वर्ली से संतोष संतोष पांडे, वर्सोवा से संजय पांडे, कालीना से अमरजीत सिंह, दिंडोशी से राजहंस सिंह और पूर्व नगरसेवक विनोद मिश्रा सहित कई उत्तर भारतीय नेता इच्छुक हैं।
उम्मीदवारी के मामले में बीजेपी की पहली सूची में एक बार फिर से उत्तर भारतीयों की अवहेलना देखने को मिली है। जबकि मुंबई व आस-पास रहनेवाले प्रवासी उत्तर भारतीय बड़ी संख्या में बीजेपी से जुड़े हैं।
बताया जा रहा है कि बीजेपी में उत्तर भारतीयों की उपेक्षा से बीजेपी से जुड़े मुंबई के उत्तर भारतीय खासतौर पर नाराज हैं। सूत्रों का कहना है कि बीते सप्ताह अपने मुंबई दौरे के दौरान बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा मुंबई बीजेपी के नाराज महासचिव संजय उपाध्याय को समझाने के लिए उनके घर पहुंच गए थे।
गौरतलब है कि 40 वर्षों से पूरी निष्ठा से पार्टी में मिली जिम्मेदारियों को निभाने के बाद भी उपाध्याय को बार-बार नजरअंदाज किया जाता रहा है।