■ शिवमहापुराण कथा के आठवें दिन भगवान विष्णु जी को मिला सुदर्शन चक्र
■ श्रीकृष्ण जी ने तपस्या कर शंकरजी से पुत्ररत्न प्राप्त किया
● आज भी गुरूजी ने दिए रुद्राक्ष आप कितने जागे हुए हैं?
मुंबई वार्ता/अमिताभ श्रीवास्तव

सोया कौन और जागृत कौन है? आज की शिव महापुराण में उल्लेखित कथा- प्रसंगो के माध्यम से जगतगुरु चैतन्य गोपेश्वर देव महाराज ने आध्यात्मिक दृष्टि प्रदान की। हम सब मोहरात्रि की आगोश में हैं। अहंकार में लिप्त हैँ और माया के गुलाम हैं।
सबकुछ जो दिख रहा वह संसार है, स्वप्न है ज़ब आँख खुलती है तब पछताना होता है क्योंकि जिस मनुष्य देह को हमने भगवान की पूजा आराधना के लिए प्राप्त किया था वह संसार की मोह माया में व्यय कर दिया और अंत संमय कोई साथ नहीं है, न संसार और न सांसारिक लोग। इसलिए जागा हुआ वही मनुष्य है जो नित परोपकार में लगा है, भगवान के चिंतन में व्यस्त है और अपेक्षारहित जीवन जीते हुए संसार में केवल एक साक्षी के तौर पर विचरण कर रहा है। बाकी सब मोहरात्रि में डूबे हुए स्वप्न मात्र देख रहे हैं।


शिवमहापुराण कथा के आठवें दिन विष्णु जी तपस्या से महादेव शंकर जी द्वारा उन्हें सुदर्शन चक्र प्राप्त हुआ तो भगवान कृष्ण ने भी शिव तपस्या कर साम्ब नामक पुत्र प्राप्त किया। शिवरात्रि की महिमा का वर्णन हुआ और आध्यात्मिक ज्ञान देते हुए जगद्गुरु ने सनातन धर्म की महत्ता बताई। सनातन धर्म में जन्म लेना कितना भग्यशाली जन्म होता है, यह कितने पुण्यो का फल है श्रोताओं को समझाया और अपने धर्म के प्रति सच्ची भावना रखने, उसके लिए जीने का आवाहन भी किया।
सार्वभौम सनातन धर्म महासभा द्वारा नौ दिवसीय इस संगीतमयी शिव महापुराण का कल 30 मई को समापन होने वाला है।कोषाध्यक्ष राजीव गुप्ता ने बताया कि आज भी जो लोग रुद्राक्ष न ले पाएं हैं उन्हें जगद्गुरु के हाथों अभिमंत्रित रुद्राक्ष वितरित किये गए। आज गायत्री परिवार के सहयोग का भी आभार व्यक्त किया गया, माँ गायत्री साहित्य सामग्री की भी एक स्टॉल भक्तगणो के लिए उपलब्ध कराई गई।
श्री जप्रशांति वेलफेयर ट्रस्ट की ओर से निःशुल्क जल और शरबत वितरण का क्रम जारी है। कल के कार्यक्रम की सूचना देते हुए प्रदेश अध्यक्ष विवेक श्रीवास्तव ने बताया कि कल रुद्राभिषेक सुबह 8:30 से 10:30 बजे तक होगा, इसके बाद शिवमहापुराण कथा कल सुबह 11:00 से दोपहर 1:30 बजे तक होगी।
कथा समापन के पश्चात पवित्र हवन पूजन – दोपहर 2:00 से 3:30 बजे तक तथा इसके बाद महाप्रसादी (भोले बाबा का भंडारा ) शाम 4 बजे से रात्रि 9 बजे तकरखा गया है। सार्वभौम सनातन धर्म ने सभी से आग्रह किया है कि वे इस पवित्र आयोजनों में अवश्य पधारें।