मुंबई वार्ता/हरीशचंद्र पाठक

दीवाली का पर्व करीब आने के साथ ही घरों की सजावट और खरीदारी का माहौल चारों ओर दिखाई दे रहा है। इस उत्सव के अवसर पर श्रवणबाधित और बौद्धिक रूप से विशेष विद्यार्थियों ने अपने हाथों से सुंदर दीये और तोरण बनाकर त्योहार की रौनक को और भी बढ़ा दिया है।


भाग्यश्री वर्तक के “शुभ्रा प्रकल्प” के अंतर्गत “शुभ सजावट प्रोजेक्ट” नामक इस अभिनव पहल का आयोजन किया गया। इस परियोजना में रोचीराम टी. थडानी हाई स्कूल फॉर हियरिंग हैंडीकैप्ड के श्रवणबाधित छात्र तथा गुरुकुल सेंटर फॉर स्पेशल चिल्ड्रन के बौद्धिक रूप से अक्षम विद्यार्थियों ने सहभाग लिया।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘यूनिफाइड’ सिद्धांत से प्रेरित इस प्रकल्प में विशेष विद्यार्थियों ने मिलकर अपने कला कौशल का सुंदर संगम प्रस्तुत किया। कुल 20 विद्यार्थियों ने मिलकर लगभग 400 से अधिक आकर्षक दीये और तोरण तैयार किए, जिनमें उनकी रचनात्मकता और मेहनत साफ झलकती है।


“जैसे खेलों में प्रतियोगिता के दौरान दिव्यांग विद्यार्थी एक-दूसरे को सहयोग करते हैं, उसी भावना को हमने ‘शुभ सजावट’ प्रोजेक्ट में अनुभव किया,” ऐसा कहना है शुभ्रा प्रकल्प की अध्यक्षा भाग्यश्री वर्तक का।इन हस्तनिर्मित कलाकृतियों में विद्यार्थियों की कल्पनाशक्ति, रंगों की समझ और सौंदर्य दृष्टि झलकती है। भाग्यश्री वर्तक तथा गुरुकुल की मुख्याध्यापिका उज्वला सुरंगे ने नागरिकों से आग्रह किया कि वे इन सुंदर वस्तुओं को उत्साहपूर्वक खरीदें और विद्यार्थियों को प्रोत्साहन दें।
भाग्यश्री वर्तक (अध्यक्षा, शुभ्रा प्रकल्प) का कहना है कि “जैसे खेलों में स्पर्धा के दौरान दिव्यांग विद्यार्थी एक-दूसरे को सहयोग करते हैं, उसी भावना को हमने ‘शुभ सजावट’ प्रोजेक्ट में अनुभव किया।”


